भारतीय दैनिक पत्रिका अमर उजालाले नेपालको बारेमा यस्तो समाचार छाप्यो

भारतीय दैनिक पत्रिका अमर उजालाले नेपालको (राष्ट्रिय अखण्डताविरुद्ध) बारेमा आज शनिबार जुन २०, २०१५  गते नेपाल में सुलग रही मधेशी राष्ट्र बनाने की चिंगारी शिर्षकमा समाचार छापेको छ । 



यस्तो छ समाचार: 



 

प्रभंजन शुक्ला



बहराइच। भूकंप त्रासदी से जूझ रहे नेपाल में अब मधेशी राष्ट्र निर्माण की मांग जोर पकड़ रही है। एक संगठन ने इसके लिए आंदोलन की रणनीति भी तय कर ली है। नेपाल के तराई क्षेत्र के 22 जिलों में आंदोलन को हवा दी जा रही है। आम आदमी को आंदोलन से जोड़ने के लिए मधेशी राष्ट्रगान व राष्ट्रध्वज का प्रस्तावित स्वरूप भी संगठन ने तय कर लिया है। यही नहीं मधेश राष्ट्र का प्रस्तावित नक्शा भी जारी कर दिया है। प्रथम चरण में आंदोलनकारी संगोष्ठी, सभा और शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन के माध्यम से अपने आंदोलन को तेज कर रहे हैं। आंदोलन अमेरिका से लौटे एक वैज्ञानिक की अगुवाई में संचालित किया जा रहा है।



नेपाल में माओवादी जन युद्ध खत्म होने के बाद नेपाल सरकार के सामने अब मधेश राष्ट्र निर्माण की आवाज बुलंद होनी शुरू हो गई है। मधेश राष्ट्र निर्माण के लिए स्वतंत्र मधेश गठबंधन नामक संगठन सक्रिय हो गया है। नेपाल के लगभग सवा करोड़ मधेशियों को एकजुट करने की दिशा में संगठन काम कर रहा है। मधेशियों का मानना है कि पूर्व मेती नदी से राप्ती नदी तक का भूभाग मधेश के नाम पर था। संगठन के केंद्रीय प्रवक्ता अब्दुल खान का कहना है कि मधेश को वर्ष 1816 में ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से नेपाल के राजा को दो लाख मुद्राओं के एवज में दिया गया था। यह समझौता अंग्रेज अधिकारी रेजीडेंट एडवर्ड गार्डनर व जी वेल्सेई की देखरेख में हुआ था। इसके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने राप्ती से महाकाली नदी तक का हिस्सा सहयोग के स्वरूप नेपाल को दिया था। अब्दुल खान बताते हैं कि मधेशी उत्पीड़न और रंगभेदी शोषण के खिलाफ नेपाल के रहने वाले डॉ. चंद्रकांत राउत की अगुवाई में आंदोलन चल रहा है। डॉ. राउत अमेरिका में वैज्ञानिक थे और वह महज मधेशी आंदोलन को तेज करने के लिए ही नेपाल लौटे हैं।



भारत से भी उम्मीद



मधेशी आंदोलनकारी भारत से भी उम्मीद बांधे हुए हैं। उनका कहना है कि भारत की सिफारिश पर ही नेपाल को संयुक्त राष्ट्र में शामिल किया गया था। ऐसे में भारत को मधेशी आंदोलन को भी सहयोग देते हुए नेपाल पर दबाव बढ़ाना चाहिए। इसके लिए राजनीतिक दलों को पत्र लिखा जाएगा।

*तराई के 22 जिलों को काटकर अलग राष्ट्र बनाने को आंदोलन

*अलग राष्ट्रगान और राष्ट्रध्वज भी कर लिया गया निर्माण

*हिमालय, व तराई के दो हिस्सों में नेपाल के बंटने के आसार