गजल:- सु:ख खोज्दै

सर्जक- एच.एल. गौतम
(अर्घाखाची ) खनदह3!!
       हाल- भारत।।
सु:ख खोज्दै कयौं दुरी धाउनु पर्दो रैछ..!!
त्यही खुशीमा थोरै पीडा पाउनु पर्दो रैछ..!!
भीत्र-भित्रै कुहीएनी भरोसाको छानो..”
नविर्सीनु,पहीले नै, छाउनु पर्दो रैछ..!!
उजाड् भुमी देखी उस्लाई दोष दीनु पुर्व..”
वृक्ष आफै रोपी एउटा लाउनु पर्दो रैछ..!!
लक्ष्य लिई गन्तव्यमा पुगी सके पनी..”
सोच्नु संधै फर्कीयर आउनु पर्दो रैछ..!!
[[२”सु:ख खोज्दै कयौं दुरी धाउनु पर्दो रैछ..!!
त्यही खुसीमा थोरै पिडा पाउनु पर्दो रैछ..२]]